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लालसा नही मुझे सत्ता की
ना लालच भोग विलास का
लहराती रही फसल हरी भरी
पालन होता रहे मेरे देश का ,
ये देश नही मेरा परिवार है
इसको पालना मेरा धर्म है
सोने ना पाये कोई भूखा
ये मेरा अन्तिम कर्म है ,
गर्मी हो या हो शीतकाल
मेहनत से न होता मै बेहाल
खुशियाँ लाएगा नया सवेरा
आस में रोज रोकता न चाल ,
मेहनत से बेटों को पढ़ाया है
सच का पाठ उनकों सिखाया है
नही चाहिये सरकार की नौकरी
देश को पालना मैने सिखाया है ,
बूँद बूँद को तरसता हैं किसान
बूँद मिले तो मानों मिले वरदान
बूँदों पर भी देखों तुम राजनीति
बूँद पर भी है सरकारी फरमान ,
महान है वो इन्सान जो है किसान
मिट्टी के कण मै हैं जिसकी जान
लिखा नही कभी कुछ खुद के लिये
आज लिखा है तो बस किसान के लिये ।।
लेखक / कवि : ©जीतेन्द्र मीना ' गुरदह '
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