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मित्र
कितनी सच्ची लगन है
लोग भटकते है
जिसे पाने के लिये ,
मुझे वो तुमसे मिल गया
तुम महलों के बादशाह
मैं सडकों पर विचरण करने वाला ,
कैसें हुआ सब
ये जादू काश सबको आता ,
मर जाते जो हृदयघात से
शायद बच पाते ।
© जीतेन्द्र मीना
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