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लोग क्या सोचते है हमारे बारें मे ,
मान्य नही रखता
हम क्या सोचते है हमारे बारे में ,
बहुत मान्य रखता है ।
जिन्दगी मे सोचो वही ,
जो मान्य रखता हो
न मान्य रखने के लिये तो
लोग ही काफी है ।।
- जीतेन्द्र मीना ' गुरदह '
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