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माना बेटियाँ नसीब से होती है , तो
बेटे भी दुआओं के बाद आते है
अजी हम लडके है जनाब
कई जिम्मेदारियों के साथ आते है ।
आधी उम्र उनको निभाने मे गुजर जाती है तो आधी उनको समझने में,
गुजर जाता है बचपन किताबों में
और जवानी कमाने में ,
बढ जाती है जिम्मेदारियां उम्र के साथ
ये बुढ़ापे मे भी कम नही होते ,
कभी बेटा बनकर तो कभी बाप बनकर
फर्ज निभाना पडता है ,
कभी भरें पेट नखरे तो
कभी खाली पेट ही सोना पड़ता है ,
कभी बाप की गोद में खेलते है तो
कभी जिम्मेदारियों के बोझ में,
कभी माँ की गोद मे खेलते है
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