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साथ चल दी ' जिम्मेदारियां '
जब घर से निकला ,
मकसद कुछ और था
पर मंजिल !
मंजिल कहीं और थी !
घर का वो शब्द ' जिम्मेदारियां '
मकसद तक नहीं पहुंचने देता !
सपने कुछ और थे
म
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