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ये आवारगी अब ओर कहाँ ले जाएगी,
जाने अब ओर कौन सा नया रंग दिखाएगी,
घर और देश तो पहले ही छोड़ चुके है हम,
अब किस नयी राह पे हमको ये बहकायेगी॥
सफलता मिली या नहीं तय नहीं कर पा रहे,
पर रोज़ अपने आप से दूर ज़रूर होते जा रहे,
घुटन मचती है जब ख़्वाब कुछ नया देखते है,
क्युँकी, पुराने वाले भी तो एक़ मुक्कम्मल ना कर पा रहे॥
~Jeet
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