Valentines PoetryPoetry1 min read
तेरे दिल की दहलीज़ पे मैं सुबह को शाम करना चाहता हुँ,
February 16, 2022Share0 Bookmarks 31724 Reads0 Likes
तेरे दिल की दहलीज़ पे मैं सुबह को शाम करना चाहता हुँ
अपनी ज़िंदगानी के तमाम क़िस्से तेरे नाम करना चाहता हुँ,
पल भर इजाज़त दे अगर इस चाँद से चेहरे को निहारने की,
आँखों में सजा के इसका नूर उम्र सारी मैं बसर करना चाहता हुँ!!
ये जो तेरी रेशमी ज़ुल्फ़ें जब बिख़र कर गालों पे आती है,
इस दुनिया में
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