
Share0 Bookmarks 128 Reads2 Likes
सुन, तेरी मासूमियत आज
फ़िर क़ोई कमाल कर गयीं
पायल की झनक
दिल की बस्ती में नया बवाल कर गयीं,
और फिर मुस्कुराना भी ज़रूरी था क्या
तेरा मुझे युँ देख कर,
होश संभालें ही थे
की तेरी खिलखिलाहट फिर बेहाल कर गयीं॥
~Jeet
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments