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मेरी जाना, तुम हर दफ़ा
कैसे ये कमाल कर लेती हो
रूठने का ख़्याल भी ग़र आए मुझे
पहले ही उसके तुम मुझसे सवाल कर लेती हो,
मिलने जो आऊँ किसी रोज़ तुमसे मैं
हटा शर्म का पर्दा आगे अपना गाल कर देती हो,
होंठो पे जो तुम्हारे रहता नाम मेरा ही सारा दिन
फिर तुम अपनी माँ से कैसे संभल के बात कर लेती हो,
भला चाहत की भी कोई इंतेहा होती होगी जहां में
किस कदर तुम मुझसे इतना प्यार कर लेती हो!!!
~Jeet
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