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कैसे करूँ शुक्रिया

Jitendra SinghJitendra Singh November 16, 2021
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कैसे करूँ शुक्रिया अदा सुकुन जो तुम दे गये हो,

वाकिफ़ तो नहीं पर एक एहसान जरुर कर गये हो,

मौका मिला तो लौटाऊंगा एक दिन हंसने की वजह

फिलहाल तो उजड़ी हुई ख्वाबों की दुनिया फिर से बसा गये हो तुम! 


पर सच कहुं तो,

 

ख़ामोशी के सन्नाटे में गुंजता एक शोर हो तुम,

उलझे बेपरवाही के मांझे की सुलझी एक डोर हो तुम,

अनंत अथाह गहरे दरिया का एक छोर हो तुम,

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