
Share0 Bookmarks 36 Reads1 Likes
घर से दुर रह रहे लोगो के लिए!!!!
जैसा हूँ वैसा न होता, शायद ....शायद थोड़ा और अच्छा होता,
थोड़ा नादान होता, थोड़ा बेफ़िक्र होता, पर जैसा भी होता,
अपने घर के आँगन में सुकून वाली गहरी नींद तो सोता,
गर ये जिम्मेदारियाँ न होती तो मैं यहाँ न होता!!
खैर संभाल ही ली तो अब क्या,
बस एक जरिया ही तो बदलना है,
देखने का नजरिया ही तो बदलना है,
जैसे सिखाया माँ ने समय के साथ वैसे ही तो चलना है!!!
:-जीत राठौड़
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments