मुसाफ़िर ही तो है हम यहाँ, न जाने कौनसी अपनी मंजिल है,
तो फिर क्यूँ एक दूजे की बातों से ज़ख्मी हुये ये दिल है,
ना समझ सको तुम हमें, तो क्यों समझना चाहें तुम्हे हम,
बन सकते थे तुम दरिया मेरे पर शायद हम अब भी तेरे साहिल है!!!
Jeet
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