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तेरी आवाज़ सुनने को तरसते रहते है,
पलकें तेरे ही इंतज़ार में दरिया हो रही,
एक सुकून का कतरा तो दे जा आके एक दफ़ा,
बिन तेरे ये धड़कन भी अब बेजान हो रही ॥
मौसम भी अब तो अपनी करवट बदल चुका,
पर ये सर्द रातें अब भी मेरी सुनसान हो रही,
जिन अधरों ने सुनाई कभी लोरियाँ मुझे,
आज वो ज़ुबान भी बेवजह मौन हो रही॥
सहसा बदल सा गया है तुझमें सब कुछ,
बेअदब सी तेरी ये रुसवाई कही जान ना ले ले,
ग़र तेरा ये बरताव रहा इस कदर ही मुझसे,
डर, अश्रुधारा कहीं रूप तूफ़ान ना ले ले॥
~ Jeet
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