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तेरी आवाज़ सुनने को तरसते रहते है,
पलकें तेरे ही इंतज़ार में दरिया हो रही,
एक सुकून का कतरा तो दे जा आके एक दफ़ा,
बिन तेरे ये धड़कन भी अब बेजान हो रही ॥
मौसम भी अब तो अपनी करवट बदल चुका,
पर ये सर्द रातें अब भी मेरी सुनसान हो रही,
जिन अधरों ने सुनाई कभी लोरि
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