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आज मैं तुमसे फिर कुछ कहने आया हुँ

Jitendra SinghJitendra Singh December 23, 2021
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सुनो, आज मैं तुमसे फिर कुछ कहने आया हुँ,

अपनी वह मासूमियत भी संग अपने लाया हुँ,

वही भोलापन, जिसे देख हार गयी थी तुम मुझ पर,

वही दीवानापन जिसने बनाया था तुमको बेख़बर,

वही सादगी, वही अन्दाज़,

वही कहानियाँ, वही अल्फ़ाज़,

बेख़बर इस जहां से आज मैं तुमसे मिलने आया हुँ,

तुम सुनो तो सही, आज मैं तुम्हें फिर से पाने आया हुँ,

अपनी वह मासूमियत भी संग अपने लाया हुँ॥

 

धड़कन थम सी जाती सी जाती है,

जब कदम तू दूर जाने को बढ़ाती है,

हर रात सोने को जब आँखे बंद होती है,

नींद बहुत दूर सही पर इनमें शक्ल तेरी ही होती है,

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