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 समय


अहर्निश चले अपनी धुरी

निष्णात तपस्वी समय


बदले हैं पल बीते हैं युग

ऋतु धर्म से अनभिज्ञ है

निर्वैर हो निर्लेप चलता

विश्रांत वैरागी समय ।


निरपेक्ष दृष्टि को लिए

अनंत पथ को साधता

निश्कामता निस्वार्थ

धूनी रमा आगत समय।


ना

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