Share0 Bookmarks 215790 Reads0 Likes
गरीबी का क्रंदन
आधे तन कपड़ा लपेटे
आधे मन लज्ज़ा समेटे
प्रश्न है ये कौन है
जिसने इक उंगली उठा
बेपर्दा तुमको कर दिया ।
दौलते ढेरों कमा कर
हवस खाने की बढ़ा कर
अट्टालिका में बैठ तुमने
रेशमी लिबास पहन
खुद को नंगा कर लिया ।
लैवेंडर में पसीना बदल
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments