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ये शाम कुछ कहना चाहती है ,
कुछ अधूरी सी रोशनी में डूबना चाहती है ।
समेटना चाहती है ,
और इस वक्त को बयान करना चाहती है ।
ये जज्बातों को ,
इस लालिमा मे मशहूर बना देना चाहती है
समय के चक्र मे,
अपना समय बनाना चाहती है
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