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ख़्वाब
आजमाते रही हूँ , पर टूटी नही
रुकी जरूर हूँ , पर भूली नही
ऐ मेरे ख़्वाब ....
तु दूर है, पर मुझमें भी हौसला है
तु कठिन है, पर मुझमें भी तेरी प्यास है
ऐ मेरे ख़्वाब ....
तु मेरी किस्मत मैं है या नही
लेकिन में तुझे आजमाना चाहती हूँ
ऐ मेरे ख़्वाब ....
तु तो ख्वाहिश का सवेरा बन बैठा है
उजाला तो चांदनी रात का भी है
लेकिन जो बात सवेरे की है ,वो चांदनी कहा
ऐ मेरे ख़्वाब .....
हाँ ...
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