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ऐ जिंदगी .....
तु क्यु बेखबर है ?
हर दिन मे क्यु अलग है ?
कभी तु क्यु इतनी शांत है
और ..
कभी तु पहाड है
इन सवालो का तेरा किया जवाब है
मेरी पेहचान मे किया सिर्फ तेरे ही हाथ है
क्या ये जिंदगी किताब है ?
और
लिखने वाली सिर
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