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पत्थर भी गाता है

janmejay ojha " manjar"janmejay ojha " manjar" February 4, 2023
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इन्सान तो गातें है हीं, यहां पत्थर भी गाता है,

है जानवर भी खेलते, मौसम भी इठलाता हैं।।

ये वादियां हवाएं , सरगम सुना रहीं हैं,

खुबसूरती से अपनी, सबको लुभा रही है,

सागर तों सरगम हैं हीं,नित झरना भी गाता है।। 

ये चांद तारे सूरज,जब देखते हैं सूरत,

आकर पुछे निरंतर,क्या मेरी है जरूरत, 

बादल तो पानी है हीं,जल मौसम भी लाता है।।

कलियों के खिलते हीं,भौंरे है गुनगुनाते,

मंजर लबों से गा कर,अब इश्क है जताते,

बुलबुल तो गाती है हीं,धुन कोयल का भाता है।।


"मंजर"

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