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सुकून के लिए तो बस, कब्र हीं एक स्थान है,
बेहतर कल के लिए सब्र भी एक इम्तिहान है
जहां पानी की एक बूंद के लिए तरसते हैं लोग,
वहां कर्मों की बारिश से सींचता रेगिस्तान है।।
भटकता कोई जहां तहां लटकता कोई यहां वहां,
सिर्फ तम्मन्नाओ कि एक किरण हीं है पास में,
जिसके बदौलत आज लड़ता जहांन है ।।
सुबह को निकले साम का पता नहीं मंजर,
जब तक ये तन है तब तक अरमान है।।
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