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छोड़ि खेती-बाड़ी भागे शहरों में दौड़ी रे,
कांधे से कुदाली गई बैलों की जोड़ी रे,।।
गांव सुना सान हुआ खेत खलिहान रे,
महंगी मंजूरी हुई बचें न किसान रे,
बिना रे दयानत हुईं दुनिया निगोड़ी रे,
कांधे से कुदाली गई….
सुविधा के लोभी होते जाते इन्सान रे,
आज के जमाने में हैं पैसा भगवान रे,
पैसों के लिए है दूध चल जातें डेयरी रे,
कांधे से कुदाली गई बैलों….
आज हर एक घर लगे हुए ताले रे,
देखता हूं थैले थैले आते है निवाले रे,
डेयरी वाले दुध खाते बच्चे बुढ़े बुढ़ि रे,
कांधे से कुदाली गई बैलों…
रोग प्रतिरोधी बल का हुआ है सफ़ाया रे,
जबसे ये खादवाला गेहूं घर आया रे,
गया कोदों सांवा और माढ़ा वाली मुढ़ि रे,
कांधे से कुदाली गई बैलों की जोड़ी रे।।
कांधे से कुदाली गई बैलों की जोड़ी रे,।।
गांव सुना सान हुआ खेत खलिहान रे,
महंगी मंजूरी हुई बचें न किसान रे,
बिना रे दयानत हुईं दुनिया निगोड़ी रे,
कांधे से कुदाली गई….
सुविधा के लोभी होते जाते इन्सान रे,
आज के जमाने में हैं पैसा भगवान रे,
पैसों के लिए है दूध चल जातें डेयरी रे,
कांधे से कुदाली गई बैलों….
आज हर एक घर लगे हुए ताले रे,
देखता हूं थैले थैले आते है निवाले रे,
डेयरी वाले दुध खाते बच्चे बुढ़े बुढ़ि रे,
कांधे से कुदाली गई बैलों…
रोग प्रतिरोधी बल का हुआ है सफ़ाया रे,
जबसे ये खादवाला गेहूं घर आया रे,
गया कोदों सांवा और माढ़ा वाली मुढ़ि रे,
कांधे से कुदाली गई बैलों की जोड़ी रे।।
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