कहीं तुम वो हम है।'s image
Poetry1 min read

कहीं तुम वो हम है।

janmejay ojha " manjar"janmejay ojha " manjar" February 3, 2023
Share0 Bookmarks 383 Reads2 Likes

खुबसूरत नजारा है इन वादियों का,

कि जिसमें सिंतारा कहीं तुम वो हम है।।

चलो एक दूजे से खुशियां मनाएं,

सितारों की दुनिया में गम भुल जाएं,

सहारे कहीं तुम हमारे लिए हों, 

तुम्हारे लिए, सारे जीवन में हम है।।

ये नदियां सिखाती सिखाता है झरना,

सितम सब हीं सह कर, निरंतर है बहना,

है सागर में मिलने को आतुर हैं रहती,

की जैसे कहीं तुम, कहीं और हम है।।

वो देखो कहीं दूर तुम टिमटिमाती,

कभी इठलाती कभी शर्म खाती,

ये इठलाना शर्माना तुम सिखली हों,

मगर बन के बुध्दू, खड़े आज हम है।।

है नजरों का धोखा,न हैं कोई सपने ,

लगे दिल में आशा के सपने पनपने,

है मंजर जमाना ये जालिम नहीं है,

ज़माने में जालिम पड़े लाखों हम है।।


"मंजर"

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts