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भारत भारत भारत भारत,
जलता भारत चलता भारत।।
जलने की अब होड़ लगी है,
एक दूजे में दौड़ लगीं है।
कोई निकल न जाए आगे,
जिसके लिए टहलता भारत।।
हिन्दू मुस्लिम मुस्लिम हिन्दू,
गद्दी का कोई और न बिन्दु,
होने दो परिहास जगत में,
रचने दो इतिहास जगत में,
हक में काम बनेंगे खुदही
इसीलिए है मचलता भारत।।
मुद्दो का नहीं फेर है कोई,
मंदिर मस्जिद मे सब कोई,
बजती हैं बस भ्रम कि ताली,
लगती हैं दुनिया अब जाली,
हंसना खेलना छुट गया अब,
भ्रम की भक्ति फैलता भारत।।
नफरत के आगोश में सब है,
ज़हर उगलते सबके लब हैं,
कोई न शांति को दर्शाता,
बिना बिचारे बकता जाता,
कहने को सब शांत हैं यारों,
पर अंदर ही उबलता भारत।।
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