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बिना गुनगुनाएं,रहा भी न जाएं।।
गम या खुशी हो चाहे,निंदीया सताएं, बिना,,,,
निकलती है आहें भर के,दिल से तरंगें,
सफर चाहें कैसे भी हो , छोटे या लंबे,
कोई याद आएं,या चाहे न आएं,बिना गुनगुनाएं,,,
करम करते अंदर,से हरदम निकलते,
अकेले अंधेरे में, चलते टहलते,
टहलते हीं सरगम,अकेले में गाएं,बिना गुनगुनाएं,,
नहाते नहाते, सभी गुनगुनाते,
नज़रें बचाकर है, गाते बजाते,
सभी कि सदाये, कितना बताएं,बिना गुनगुनाएं ,,,
"मंजर"
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