भक्ति रस होली's image
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बनवारी,2 दे लें अजब गारी।।

कभी वृन्दावन यमुना तट पर,

मारें कंकर मोर मटकी पर,

कभी लेके2, चुनरिया चढ़ें डाढ़ी।।

कों से दूं सखि जाई उलाहना,

ना पतियाय यशूमति कहना,

कहे उल्टे 2,सखि तेरो मति मारी।। 

ऐसों रंग से अंग रंगि डारो,

सर से पांव कियो कारो कारों,

मोरी गोरी 2,सुरतिया बिगार डारी।।

इस दुनिया में कोई न बांचा,

सब है झूठे वो एक सांचा,

छड़ भंगूर 2, है मंजर नर नारी।।


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