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हमने रिश्तों का बहुत खयाल रक्खा
पर रिश्ते हमारा खयाल रख न सके
अब रिश्ते हैं भी और नही भी 
बस खयाल हैं जो आते जाते रहते हैं
रिश्तों की बुनियाद न हो गर मजबूत
तो रेत के महलों की तरह ढह जाते हैं 

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