आज एक शक्श ने खुदकुशी कर ली।
सोचता तो होगा अब वो शक्श कैसी मैंने गलती कर ली।
जिस बीवी के साथ लिये थे फेरे ।
एक बार सोचना तो चाहिए था वो कैसे जियेगी अब बिन तेरे ।
उसके बेटे की मासूमियत देख के दिल टूट गया।
दोनों छोटी छोटी बेटियों और उस मासूम से हमेशा हमेशा के लिये पिता का साथ छूट गया।
कोई भी खवाईश अब बच्चों की कौन पूरी करेगा।
ऐसा ज़ख्म मिल गया परिवार को जो सारी ज़िन्दगी कभी नही भरेगा।
काश एक बार सोच तो लेता जब भी बेटियों की शादी होगी कन्यादान कौन करेगा।
सब लोग वहां पे बातें कर रहे थे।
के ये भाईसाहब पिछले काफ़ी लंबे समय से डिप्रेशन में चल रहे थे।
डिप्रेशन कई लोगों की ज़िन्दगी में बड़ा एहम रोल निभाता।
खुदकुशी वो ही कर लेता जो कुछ दिल पे लगी बातों को दिमाग से निकाल नहीं पाता।
बहुत कम लोग ही डिप्रेशन से बाहर निकल पाते।
कुछ लोग तो इस बीमारी की दवाई लंबे समय तक खाने के आदि हो जाते।
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