
जंगल का जो होता अकेला राजा उसे सब कहते है शेर।और बॉलीवुड में जिन्होंने कई सूफ़ी गीत गाये नाम है उनका कैलाश खेर।
हर सुर में इनके है बड़ी मिठास।
बड़ी मेहनत के बाद बॉलीवुड में बना है इनका नाम।
उत्तर प्रदेश(मेरठ) से बॉलीवुड में जाना।
अब तक 18 भाषाओं में इन्होंने कई हिट गानों को गाना।
दिल्ली से की इन्होंने अपनी पढ़ाई।
मुसीबतें इनकी भी ज़िंदगी में कई आई।
पहले गाने (रब्बा इश्क ना होवे) में दी थी इन्होंने अपनी आवाज़।
हर कोई समझ गया था इनके गाने का अलग है अंदाज।
(अल्लाह के बंदे हम गाने ने इनको अलग पहचान दिलाई।शीतल खेर से इन्होंने शादी रचाई।
कैलाश खेर की आवाज़ में बहुत है दम ।
सूफ़ी गीत गा सके ऐसे सिंगर आजकल बहुत है कम ।
कद इनका चाहे है छोटा।
इनके जैसे गाने का अंदाज़ हर किसी के पास नहीं होता।
चांद सिफ़ारिश, चक लेन दे,जय जयकारा, तेरी दीवानी बड़ी लंबी है इनके गीतों की कहानी।
प्रभु और नीलू दीदी की दी हुई कलम की ताकत सनी ने अच्छी तरह से पहचानी✍️
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