इबादत (कविता)'s image
Share0 Bookmarks 54499 Reads0 Likes

लिखता जाऊं आपके बारे में कभी ना रुके हाथ मेरे ।

कुछ तो रिश्ता है आपके और बीच मेरे ।

आपके लिये लिखता जाऊं ।

कभी कोई ग़ज़ल आपके लिये बनाऊं कभी कोई कविता आपको सुनाऊं ।


क्यूंकि वो आप ही तो जिसने मुझे ग़ज़ल लिखने के लिये कलम पकड़ाई थी ।

उस कलम से ना जाने मैंने ना जाने कितनी गज़ले और कविताएं आपके लिये लिख कर दिखाई थी ।

कुछ गज़ले और इबादत को लेकर जितनी भी कविताएं लिखी वो आपको बहुत पसंद आई थी ।


वक्त निकाल के आप जब भी किसी ग़ज़ल या कविता को पढ़ते हो ।

कहते हो सनी कलम के साथ आप तो कमाल ही करते हो ।


मैंने कहा

Send Gift

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts