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लिखता जाऊं आपके बारे में कभी ना रुके हाथ मेरे ।
कुछ तो रिश्ता है आपके और बीच मेरे ।
आपके लिये लिखता जाऊं ।
कभी कोई ग़ज़ल आपके लिये बनाऊं कभी कोई कविता आपको सुनाऊं ।
क्यूंकि वो आप ही तो जिसने मुझे ग़ज़ल लिखने के लिये कलम पकड़ाई थी ।
उस कलम से ना जाने मैंने ना जाने कितनी गज़ले और कविताएं आपके लिये लिख कर दिखाई थी ।
कुछ गज़ले और इबादत को लेकर जितनी भी कविताएं लिखी वो आपको बहुत पसंद आई थी ।
वक्त निकाल के आप जब भी किसी ग़ज़ल या कविता को पढ़ते हो ।
कहते हो सनी कलम के साथ आप तो कमाल ही करते हो ।
मैंने कहा
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