
जिनके गाने और गजलें सुनकर नुसरत साहब की अक्सर याद है आती।
जब भी सूफ़ी गीत की बात होती है तो राहत फतेह अली खान साहब की बात अक्सर की जाती।
कहने को है तो है राहत फतेह अली ख़ान साहब है पाकिस्तान के रहने वाले।
लेकिन आज पूरी दुनियां में है आज इनके चाहने वाले।
संगीत की तालीम इन्हें अपने ताया नुसरत साहब से मिली ।
सुनकर इनकी आवाज़ पूरी की पूरी दुनियां हिली।
7साल की उम्र में राहत अली खान ने अपना स्टेज शो था लगाया।
ऐसी आवाज़ मिली है इन्हें ऊपर वाले से पूरी दुनियां को इन्होंने अपना दीवाना बनाया।
जब भी राहत फतेह अली खान साहब कोई गीत गाते।
सुनने वाले सुनते ही रह जाते।
कई मुसलमानों ने अपनी मेहनत और लगन से खूब नाम कमाया है।
लेकिन कई गिरे हुऐ मुसलमानों ने तो अपनी कोम पे अक्सर दाग़ लगवाया है।
आतंकवाद का लेते सहारा।
इनके द्वारा किये हुऐ हमलों में अक्सर कितने लोग मारे जाते तो कई लोग हो जाते बेसहारा।
बात हो चाहे 1993 मुंबई ब्लास्ट की।
कौन भूल सकता है 26/11दरनिंदगी अजमल कसाब की।
लेकिन राहत साहब को जो भी सुनता वो एक ही बात कहता कोई बराबरी नहीं कर सकता इनकी आवाज़ की।
एक बार इंद्रा गांधी हवाई अड्डे पे कस्टम की तरफ़ से इन्हें गया रोका।
इनके पास से सवा लाख के क़रीब डॉलर मिलने पर इनपर और इनके मैनेजर पर 15,15लाख का जुर्माना कस्टम ने ठोका।
पता नहीं कब खत्म होगा आतंकवाद।
जो किसी निहत्थे और मासूमों की जान ले ले वो नहीं हो सकता सच्चा मुसलमान।
ऐसे लोगों का ना कोई धर्म ना इनकी कोई जाति।
मां आपकी और प्रिंस जीजू की याद हमें बड़ी है आती।
प्रभु,नीलू दीदी और मेरी मां की दुआओं के बिना पोस्ट कोई भी सनी से लिखी जाती ✍️
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