
चलो आज जन्मदिन के दिन बात मनोज मुंतशिर साहब की है करते ।
जो कुछ भी कहने और करने से बिल्कुल नहीं डरते ।
मुंतशिर का मतलब बिखरा हुआ होता है ।
बहुत कम लोगों के पास इनके जैसा हुनर होता है।
इनकी ज़िन्दगी को लेकर होगी आज बात ।
बिल्कुल अलग है इनका अपना अंदाज़ ।
गोरीगंज अमेठी से रिश्ता है इनका पुराना ।
हर बार इन्होंने अपनी कलम से कमाल से कमाल गीत लिख कर दिखाना ।
गीत इनके होते है बेहतरीन से बेहरतीन ।
जिनके बिना अधूरा है कई फिल्मों का संगीत ।
शुरवात के दिन इनके भी उतार चढ़ाव वाले रहे ।
कुछ किस्से है इनकी ज़िन्दगी के अन सुने और अन कहे।
अपने स्कूल के दिनों में एक लड़की से मनोज जी ने प्यार था किया।
कुछ खास काम काज नहीं करते थे और ना ज्यादा पैसे कमाते थे इसलिए उस लड़की के पिता ने अपनी बेटी की शादी मनोज जी करने से साफ़ इनकार किया ।
उस वक्त उस लड़की ने भी मनोज जी का साथ देने से साफ़ मना किया ।
उस लड़की ने इनसे जब कहा आज से मनोज तुम्हारा मेरा साथ हमेशा हमेशा के लिये छूटा ।
आंखों में आंसू आये मनोज जी के दिल भी उस वक्त था इनका टूटा ।
क्योंकि उसकी एक झलक पाने को मनोज जी तरसते थे।
उसे देखने के लिये उसके घर के बाहर पार्क में भरी गर्मी में खड़े रहते थे ।
उस लड़की ने कहा मैंने जो भी चिट्ठियां तुम्हें लिखी वो मुझे लौटाओं ।
तब इनके दिल से आवाज़ आई थी मनोज अब दिल टूटने पर तुम आंसू ना बहाओ कलम उठाओ और इसे अपनी ताकत बनाओ।
मुंबई का सफ़र बड़ा मुश्किलों से था भरा ।
ये सच है मनोज जी को ना जाने कितने दिनों तक फुटपाथ पर सोना था पड़ा ।
दो दो वक्त भूखे थे मनोज मुंतशिर जी सोए ।
एक बार ये नींद में थे एक आदमी ने इन पर पेशाब कर दिया था मनोज मुंतशिर उस वक्त बहुत थे रोएं।
फटे हुऐ जूते वाले दिन ना कभी मनोज जी भूल पाएंगे।
अभी तो आपके और बहुत से गीत आएंगे ।
उसके बाद मनोज मुंतशिर साहब अपने सपने लेकर मुंबई की तरफ़ चल पड़े ।
एक दिन ये भजन गायक अनूप जलोटा से मिलने उनके घर पैदल ही चल पड़े ।
झूठ बोल दिया तब मनोज मुंतशिर ने अनूप जलोटा जी से मैं भजन लिखता हूं क्योंकि तब तक इन्होंने सिर्फ़ शायरी लिखी थी।
ये भी सच है तब मनोज मुंतशिर साहब को चाय पीने की लत और भूख बड़ी जोरों की लगी थी ।
अनूप जी ने कहा कोई भजन लिखा है तो वो सुनाओ ।
तब मनोज जी ने कहा अनूप जी एक कप चाय आप मंगवाओं।
चाय आते आते भजन लिख कर दिखाया।
इतना पसंद आया वो भजन अनूप जलोटा जी को उन्होंने मनोज जी को 3000रुपए का चेक दे डाला।
चेक लेकर ना मनोज मुंतशिर को खुद पर ना हुआ यकीन।
समझ बैठे वो खुद को उस वक्त बहुत अमीर ।
सीधे बैंक जाकर चेक कैश करवाया ।
100,100के तीस नोटों को बैंक वालों ने मनोज जी के हाथों में थमाया।
ये थी मनोज जी की पहली कमाई ।
कुछ सालों बाद नीलम इनकी ज़िन्दगी में आई ।
तेरी गलियां,बाहुबली ,ना जाने कितने बेहतरीन गीत सुनने का पूरी दुनियां को मौका मिला।
लेकिन बहुत बुरा लगा था इन्हें जब इनके लिखे गीत तेरी मिट्टी में मिल जावा की जगह गली बॉय के एक रैप को अवॉर्ड मिला ।
तेरी मिट्टी में मिल जावा गीत से जुड़ी भावनाओं का कुछ लोगों ने अपमान किया ।
उसके बाद ही मनोज साहब ने हर अवॉर्ड फंक्शन में ना जाने का अपने पेज़ से ऐलान किया ।
प्रभु नीलू दीदी और मेरी मां ने लिखने के लिये अपने बेटे सनी को हर रोज़ अपना आशिर्वाद दिया ✍️
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