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वो कहते है सनी गज़ले तो कई लिख चुके हो तुम मुझे लेकर अब कोई कविता लिख कर दिखाओ ।
चाहते हो तुम मुझे कितना ये बात अपनी कविता के ज़रिए मुझे बताओ ।
शुरवात मैं कविता की करने जा रहा हूं ।
दिल धाम के पढ़ना मैं अपनी इबादत के लिये ग़ज़ल नहीं कविता लिखने जा रहा हूं ।
आंखें आपकी है इतनी गहरी ।
अक्सर इन पर मेरी नज़र हर बार है ठहरी ।
आपकी खुली जुल्फों के बारे में मैं क्या कहूं ।
दिल कहता है मेरा मुझसे बस मैं सामने बिठा लूं आपको और देखता रहूं ।
गाल है आपके इतने गोरे और सुरख लाल ।
खुदा ने फुर्सत निकाल के बनाया है आपको बा कमाल ।
आपके गोरे गालों पे खुदा ने जो काला तिल है बनाया ।
उसी ने आपको लोगों की नज़र लगने से है बचाया ।
होंठ आपके है जैसे कोई खूबसूरत गुलाब ।
पहनते हो आप एक से बढ़कर एक लिबास ।
सावन में बादल देखकर
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