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जिन्हें गुज़रे हो गये 5साल।
आज की पोस्ट मेरे दलबीर चाचा(रिंपा) जी के नाम।
वैसे तो है मेरे चाचा जी और भी है बड़े।
लेकिन इनकी तरह दोस्ती निभाने वाले ना मुझे मिले।
कुछ खटी कुछ मीठी है इनके साथ मेरी यादें।
बताते है वो सारी बातें।
क्रिकेट खेलना और देखना ये बहुत पसंद करते थे।
नई नई फिल्में देखना भी बहुत पसंद करते थे।
लेकिन अपने बड़े भाई से बहुत डरते थे।
उनकी इज्ज़त तो भगवान की तरह करते थे।
जो दिल में इनके आया वो ये काम अक्सर करते थे।
वक्त ने ऐसी मारी थी इन्हें मार।
मां बाप के छोटी उम्र में ही चले जाने के बाद बुरी संगत से ना पा सके ये पार।
लेकिन कहते है बुरे इंसान में भी कुछ अच्छा अरूर होता है।
देखने वाले पे बहुत कुछ निर्भर होता है।
हर इंसान
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