
गर्मी रोज़ की रोज़ बढ़ती जा रही है।
लोगों को बढ़ती हुई गर्मी परेशान करती जा रही हैं।
आसमान से जैसे गिर रही आग।गर्मी से बचने के लिऐ लोग ऐसी और कूलर का सहारा ले रहे दिन रात।
लाईट अब हद से ज्यादा जाने लगी।
बिजली बोर्ड हर बार की तरह कभी फॉल्ट पड़ गया या मुलाजिम कम है का बहाना हर बार की तरह बनाने लगी।
आधी रात को बिना बताएं बिजली चली जाने से लोगों को हो रही परेशानी।
ये बात सरकारों को कहा समझ में आने वाली।
सरकार पेड़ रोज़ रही काट।
हाईवे पे हाईवे बनते जा रहे दिन रात।
पेड़ लगाना आज किसी किसी को ही याद।
प्रदूषण भी इतना बढ़ता जा रहा जिसका कोई नहीं हिसाब।
पेड़ जल्द से जल्द होंगे हम सबको लगाने।
तभी हम सांस ले पायेंगे सारे।
जरा कभी उनके बारे में भी सोचो जो सड़क पे सोते है।
कूलर तो छोड़ो उनके पास तो हाथ से चलाने वाले पंखे तक नहीं होते है।
चलो ऐक छोटा सा काम हम सब करें।
अगर कोई गरीब मिले उसे हाथ से चलने वाला पंखा भेंट करे।
अपने घर की छत पर पंछियों और घर के बाहर जानवरों के लिऐ किसी भी बर्तन में पानी रोज़ भरे।
इस से बड़ा ना होगा कोई काम।
उनकी दी हुई दुआएं आयेंगी हम सबके काम।
कितनी फजूल खर्ची हम खुद पे भी तो है करते।
किसी गरीब या मासूम पंछी को पानी पिलाने से हम क्यों पीछे हटते।
आने वाले दिनों में गर्मी अभी और बढ़ेगी।
लोगों को बहुत तंग करेगी।
मां आपकी कमी कभी नहीं भरेगी।
प्रभु और नीलू दीदी की दी हुई कलम तो जब तक सनी की सांस है तब तक चलेगी✍️
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