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अब किसी गैर की ख्वाबों में आती है वो,
फिर मेरी क्यों नींद रात भर नहीं आती।
✍ एम ए हबीब इस्लामपुरी
फिर मेरी क्यों नींद रात भर नहीं आती।
✍ एम ए हबीब इस्लामपुरी
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