Share0 Bookmarks 49302 Reads0 Likes
मरीज़ ए इश्क हूं तेरा मेरे ख़्वाजा मुईनुद्दीन।
ज़हे बीमार रहने दे मेरे ख़्वाजा मुईनुद्दीन।
हुसैनी खून है तुझमे तू है आल ए शहे बतहा
जमाना फैज़ पाता है तेरे दर से मुईनुद्दीन।
दिए ईमान का दौलत जो है आला ज़माने में
हैं नव्वे लाख को मोमिन किए ख़्वाजा मुईनुद्दीन।
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments