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गुज़ारिश
गुज़ारिश है बस तुमसे की तुम हम से इतने भी खफा ना हों
कि हम बारिश के खुयाइश मे बिल्कुल सूखे न पड़ जाए
कि हम वो पत झड़ के मौसम में वो आखरी पत्ता ना बन जाए
कि हम अमावास कि रात में वो अंधेरा ना बन जाए
बस गुज़ारिश है तुमसे एक बार मिलने की
और हमारे चांद का नूर देखने की
जिसकी खुशबू मेरे रोम रोम मे बसी हुई है ,जेसे फूल गुलाब का
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