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अस्तित्व है समाज का और संसार का आधार भी...
मित्र भी, माता भी, जन्मदायिनी और अर्धांगिनी...
मर्मता, दया, त्याग, प्रेम और बलिदान भी...
नारी तू अनेक है और एकता का सार भी...
मित्र भी, माता भी, जन्मदायिनी और अर्धांगिनी...
मर्मता, दया, त्याग, प्रेम और बलिदान भी...
नारी तू अनेक है और एकता का सार भी...
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