
Share1 Bookmarks 39 Reads0 Likes
अस्तित्व है समाज का और संसार का आधार भी...
मित्र भी, माता भी, जन्मदायिनी और अर्धांगिनी...
मर्मता, दया, त्याग, प्रेम और बलिदान भी...
नारी तू अनेक है और एकता का सार भी...
मित्र भी, माता भी, जन्मदायिनी और अर्धांगिनी...
मर्मता, दया, त्याग, प्रेम और बलिदान भी...
नारी तू अनेक है और एकता का सार भी...
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments