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न बुरी है बहुत, न भली ज़िंदगी
पर विषमताओं से है भरी ज़िन्दगी।1
हमको जिस मोड़ पर थी मिली ज़िन्दगी,
घूम फिर के है आई वहीं ज़िन्दगी।2
सोचते ही रहे ज़िंदगी भर जिसे,
काश एक पल को वो सोचती ज़िन्दगी।3
मैकशी उम्र भर की हुई रायगां,
आज एक बूंद में मिल गई ज़िन्दगी
कौल सूफ़ी में कोई हुआ मस्त है,
कोई जीता रहा मनचली ज़िन्दगी।5
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