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लता दीदी को शब्द सुमन अर्पित करते हुए~
तुम्हारी लोरी
सुनकर
शैशव जिया
नन्हें मुन्ने थे तो
मुट्ठी में तुम्हारे गीत
लिए डोलते रहे,
शहीदों की
क़ुरबानी
याद दिलायी तो
बरबस आंसू छलक पड़े,
तुम्हारे गीतों की मादकता में
यौवन स्वप्न सा गुज़र गया।
लगता था
ज़िन्दगी और कुछ
भी नहीं तेरी मेरी कहानी के सिवा,
पिता बने तो राम को
ठुमकते हुए पैंजनिया बजाते
तुम्हारे गानों में महसूस किया,
अब उ
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