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हिंदी कविताPoetry1 min read

"उड़ाने के लिए ही कमाते है"

Indraj YogiIndraj Yogi February 21, 2023
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जमापूंजी की चेरापूंजी वाला शहर,

कौन देश बसता है?

ये कौन वतन की दिलखोल गली है?

पैसों पर ढ़ीले हाथों का ये मुहल्ला कौनसा है?

कौन मुल्क की आब-ओ-हवा में इतना पैसा पलता?

क्या मर्जी? क्या अर्जी?

कब चांद निकालता है,

कब सुरज ढलता है।


आने-ताने, औने- पौने से ऊपर,

जिंदगी गुजारते होंगे,

सिक्कों की खनक के साथ शेखी बघारते होंगे,

कैसे ये लोग होंगे?

बेमेल होंगे?

नोटो के बंडल पर सूखे डंठल होंगे?

जाने ये लोग कैसे होंगे?

~इन्द्राज योगी

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