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तुझे प्रेम करने के जुर्म में ,
अगर मैं सज़ायाफ़्ता रहा तो,
मैं अपनी काल कोठरी को,
तेरी यादों के स्वर्णिम अतीत,
से सजा दूंगा,
लोहे की कड़क सलाखों को,
मुझे आलंब दिए,
तेरे मृदुल अंग बता दूंगा,
लिखूंगा हर पहर,
पहर बीते,
जो सभी अंधकार में,
ऊंच
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