Share0 Bookmarks 48192 Reads0 Likes
दर्द दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है,
मुझे आश है तेरे आगोश की,
बात यह है कि मैं कराह नही सकता,
दुखती है कि रग खामोश सी,
मैं लिखूं तुझे चिट्ठी,
मुझे दरख़्त की चिंता खा जाती है,
मुझे रात की वीरानियां खा
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments