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माह-ए-फरेब, फरवरी का ख्याल रखना,
हो सके जितना दिल को संभाल रखना,
धड़कने बसंत पर धड़केगी,
दिल भी सर्द बयार पर मचलेगा,
क्षितिज पर ढलता सूरज,
मस्तानी शाम की ओर इशारा करेगा,
दरख़्त की शाखें साज मिलाएंगी,
कोयल भी गान अलग-सा गाएगी,
सुबह की एक साजिश शामिल होगी, चाय पर,
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