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कोई जवाज़ नही इस जवानी का,
जो सुखन नवाज न सके,
खुदी रहे मस्त-मौला,
बुत बना निहारता रहे,
"इन्द्राज" ताबूत है दुनिया सारी,
रूह तड़पड़ती इसमें बेचारी,
फ़क़ीरी लपेटे बदन,
शौक की भट्टी में भड़के अग्न,
महँगे ख़्वाब, बदन नग्न,
क्या देखें, क्या खरीदे,
खड़े खाली हाथ बाजार-ए-शहर में,
दिखा आंखें सौदागर भाव पुकारे,
टुकर-टुकर हमीं को निहारे,
मैं फटेहाल, जेबों में भरे सवाल,
बीच-बाजार, दिल में मचे बवाल,
मलाल! मलाल!
जिंदगी, जवानी को मलाल,
क्या ऐसा ही रहेगा हाल.....
~इन्द्राज योगी
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