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काश! कुछ ऐसा होता कि भू कांपती तो सितारे बरसते,

इस आसमान में किसी के नक्षत्र बदलते,

शनि सुकून देता और मंगल भी शुभकामना देता,

धरती का बोझ भी न असहनीय होता,

झिंझोड़े जाने से भी कोई फूल न टूटता,


न दिल टूटता,

आंखों से एक आंसू न फूटता,

बैचेनी दिल में बड़ी,

चिर चीत्कार बड़ी,

धरती धैर्य न खोती,

कब्रों की खेती न बोती.....

~इन्द्राज योगी




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