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मक़बूल है कि हम तेरे मज़लूम है,
दे दर्द जी भर के,
कि जमा दिल में दर्द-ए-हुजूम है,
सह कर तेरे कहर सभी,
बन सहर-ए-शहर उतर जाऊं,
इस कद्र तेरी कयामत सह जाऊं,
स्याह रात से,
उजास दिन हो जाऊं,
कागज पर लिख,
गीत ज़रा गुनगुनाऊं,
दस्तूर-ए-इश्क,
रहा ही, ये ही,
हम भी आशिक,
जो थे, वो ही,
निबाहना निभाऊं,
कहो! क्या मैं टकराऊं,
सनम से लड़,
इश्क से भिड़ जाऊं,
या कर समझौता,
इश्क बुलंद कर जाऊं,
परचम-ए-इश्क
मस्त-मग्न-गगन,
तक फहराऊं,
या लगा गले सनम को,
दिल से,
इश्क बचाऊं....
~इन्द्राज योगी
दे दर्द जी भर के,
कि जमा दिल में दर्द-ए-हुजूम है,
सह कर तेरे कहर सभी,
बन सहर-ए-शहर उतर जाऊं,
इस कद्र तेरी कयामत सह जाऊं,
स्याह रात से,
उजास दिन हो जाऊं,
कागज पर लिख,
गीत ज़रा गुनगुनाऊं,
दस्तूर-ए-इश्क,
रहा ही, ये ही,
हम भी आशिक,
जो थे, वो ही,
निबाहना निभाऊं,
कहो! क्या मैं टकराऊं,
सनम से लड़,
इश्क से भिड़ जाऊं,
या कर समझौता,
इश्क बुलंद कर जाऊं,
परचम-ए-इश्क
मस्त-मग्न-गगन,
तक फहराऊं,
या लगा गले सनम को,
दिल से,
इश्क बचाऊं....
~इन्द्राज योगी
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