दर- दरवाजा समझ के....'s image
Poetry1 min read

दर- दरवाजा समझ के....

Indraj YogiIndraj Yogi February 26, 2022
Share0 Bookmarks 45587 Reads0 Likes
खोल के रख दिया दिल को हमने,
दर- दरवाजा समझ के,
आएंगे जो अंदर अपने ही तो है,
बिना की परवाह समझ के,

आएं भी जो,
तो क्या आएं
नुकीले जूतों संग,
दिल में मैली चाहत लाएं,

कुचल कर चले गए,
दर हमारी,
दिल को आहत,
दरवाजा लहूलुहान करके

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts