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खोल के रख दिया दिल को हमने,
दर- दरवाजा समझ के,
आएंगे जो अंदर अपने ही तो है,
बिना की परवाह समझ के,
आएं भी जो,
तो क्या आएं
नुकीले जूतों संग,
दिल में मैली चाहत लाएं,
कुचल कर चले गए,
दर हमारी,
दिल को आहत,
दरवाजा लहूलुहान करके,
एक ओर मैं दिल को देखूं
एक ओर दरवाजे को,
दिल धड़क- धड़क शिकायते करें,
दरवाजा खड़क- खड़क शिकायते करें,
बाद उसके,
हाल यह है कि,
हाल नही मिलता,
एक मैं बदहाल हूं,
बेफफाई पर उसकी,
एक सवाल नही मिलता.....
"इन्द्राज योगी"
दर- दरवाजा समझ के,
आएंगे जो अंदर अपने ही तो है,
बिना की परवाह समझ के,
आएं भी जो,
तो क्या आएं
नुकीले जूतों संग,
दिल में मैली चाहत लाएं,
कुचल कर चले गए,
दर हमारी,
दिल को आहत,
दरवाजा लहूलुहान करके,
एक ओर मैं दिल को देखूं
एक ओर दरवाजे को,
दिल धड़क- धड़क शिकायते करें,
दरवाजा खड़क- खड़क शिकायते करें,
बाद उसके,
हाल यह है कि,
हाल नही मिलता,
एक मैं बदहाल हूं,
बेफफाई पर उसकी,
एक सवाल नही मिलता.....
"इन्द्राज योगी"
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