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कोई अख्ज अजीज ही है,
मिला अजाब अजीब ही है,
अर्जमंद, अजनबी तो नही,
अदम,अदब, अजीम ही है,
अंजुमन में मिला गैरों की,
अफसूर्दा सा वो,
अफसोस मुझे क्यों मिला वो,
अव्वल दर्जे का अश्किया,
~इन्द्राज योगी
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